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Posh Krishna Ekadashi, also known as Saphala Ekadashi, is a significant Hindu fasting day observed on the 11th day (Ekadashi) of the Krishna Paksha (waning phase of the moon) during the month of Posh (December-January). Here's an in-depth look at this auspicious day:
According to the legend, there was a king named Mahishmata who had a disobedient son, Lumpaka. Due to his misdeeds, Lumpaka was exiled from the kingdom. He lived in a forest, surviving on fruits and remembering Lord Vishnu. On the day of Saphala Ekadashi, unknowingly, he observed a fast and spent the night under a Banyan tree. The next morning, he was miraculously forgiven for his sins and reinstated in the kingdom by Lord Vishnu's blessings. This story underscores the power of observing Saphala Ekadashi with devotion.
The date of Posh Krishna Ekadashi varies each year based on the lunar calendar. It generally falls in the month of December or January.
Different regions of India might have unique traditions and practices associated with Saphala Ekadashi, but the core rituals of fasting and devotion to Lord Vishnu remain consistent.
By observing Posh Krishna Ekadashi with dedication and sincerity, devotees seek to purify their minds and souls, hoping to attain the blessings of Lord Vishnu for a prosperous and righteous life.
पौष कृष्ण एकादशी, जिसे सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण उपवास का दिन है। यह पौष माह (दिसंबर-जनवरी) के कृष्ण पक्ष (अंधकार पक्ष) की एकादशी (ग्यारहवीं तिथि) को मनाया जाता है। इस शुभ दिन के बारे में विस्तृत जानकारी इस प्रकार है:
कथा के अनुसार, महिष्मत नामक एक राजा था जिसका लुम्पक नामक एक अवज्ञाकारी पुत्र था। उसकी बुरे कर्मों के कारण उसे राज्य से निर्वासित कर दिया गया। वह जंगल में फल खाकर जीवित रहता था और भगवान विष्णु का स्मरण करता था। सफला एकादशी के दिन, अज्ञात रूप से, उसने उपवास किया और रात को एक बरगद के पेड़ के नीचे बिताया। अगले दिन सुबह, उसे भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उसके पापों की माफी मिल गई और उसे राज्य में पुनः स्थापित कर दिया गया। यह कहानी सफला एकादशी के व्रत की महिमा और लाभ को दर्शाती है।
पौष कृष्ण एकादशी की तिथि हर साल चंद्र कैलेंडर के आधार पर बदलती रहती है। यह सामान्यतः दिसंबर या जनवरी महीने में पड़ती है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सफला एकादशी से जुड़ी अलग-अलग परंपराएं और प्रथाएं हो सकती हैं, लेकिन उपवास और भगवान विष्णु की भक्ति के मुख्य अनुष्ठान समान रहते हैं।
पौष कृष्ण एकादशी को श्रद्धा और निष्ठा के साथ मनाकर, भक्त भगवान विष्णु के आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं और एक समृद्ध और धर्ममय जीवन की कामना करते हैं।